मुखड़ा
तेरे होने से रंग हैं जीवन में
हर ख्वाब को आवाज़ मिल जाती है
चुपचाप चलती इन साँसों में
तेरी यादों की बारात मिल जाती है
अंतरा 1
छू कर गुजरती मौसमों की हवा
तेरी हँसी का दर्पण दिखा जाती है
टूटते तारे जब भी गिरते यहाँ
तेरा नाम मेरे होंठों पे आ जाती है
अंतरा 2
तेरी चुप्पी की गूँज में खुद को पाया
तेरे महसूस की गहराई में डूबते गए
जिस्मों से जुदा है ये रिश्ता हमारा
रूह के किनारों तक साथ निभाते गए
कोरस
तू जो है पास, फिर क्या चाहूँ
हर जज़्बात तुझसे ही है
तू मेरी सीमाएँ, तू मेरा आसमाँ
सब कुछ मिला, मुझे जब से तू मिला
ब्रिज
हर सुबह तेरी दुआओं जैसी,
हर शाम तेरा असर
तेरे बिना मेरी दुनिया सुनसान,
तेरे साथ हर एक रंग प्यारा बेइंतहा